हाईकोर्ट के द्वारा नियोजन नीति 2021 रद्द होने के उपरांत भाजपा लगातार सीएम सोरेन पर युवाओं को ठगने का आरोप लगा रही है और अभी चल रहे झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में नियोजन नीति को लेकर हंगामा हो रहा है। झारखंड सरकार की ओर से हमेशा यह बयान आता रहा है यह नियोजन नीति झारखंड के अभ्यर्थियों को डायरेक्ट लाभ पहुंचाने वाली नियोजन नीति है और इस नीति से विशेषकर सामान्य वर्ग को भी संरक्षित करने का काम कर रही थी।
झारखंड के नियोजन नीति के अनुरूप देखा जाए तो एसटी, एससी, ओबीसी और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग को 60% रिजर्व श्रेणी में रखा गया है जिसे अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों को ये सीट नहीं मिल सकती थी। बाकी 40% सीट जो सामान्य वर्ग के लिए अर्थात ओपन सीट है, को 10वीं और 12वीं की पढ़ाई की अनिवार्यता कर सुरक्षित करने का प्रयास किया गया था। हो सकता है कि कुछ सामान्य वर्ग के बच्चे बाहर गए हो। तो कई ऐसे बच्चे हैं जो EWS का सर्टिफिकेट बनाकर अपने आप को सुरक्षित भी किया है। झारखंड के तमाम लोगों को पता है की कोर्ट में इस नियोजन नीति के खिलाफ याचिका दायर करने वाले लगभग लोग यूपी, बिहार व अन्य राज्यों के थे।